Thursday, 19 September 2024

दश महाविद्या प्रयोग

 

 

 


  दश महाविद्या प्रयोग
 १ : प्रथम महाविद्या काली : काली मंत्र किसी भी प्रकार की सफलता के लिए उपयुक्त है इस विद्या के प्रयोग से कोई भी बाधा सामने नहीं आती है |
२ : द्वितीय महाविद्या तारा : तारा [ कंकाल मालिनी ] यह सिद्ध विद्या शत्रुओ के नाश करने के लिए व जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए विशेष लाभदाई है |
३ : तृतीय महाविद्या षोडशी : षोडशी [ श्रीविद्या त्रिपुरा ललिता त्रिपुर सुंदरी ] यह सिद्ध विद्या और मोक्ष दात्री है जीवन में पूर्ण सफलता व आर्थिक दृष्टि से उच्च कोटि की सफलता के लिए इस मंत्र की साधना करे |
४ : चतुर्थ महा विद्या भुवनेश्वरी : भुवनेश्वरी [राजराजेश्वरी ] की साधना से विद्या प्राप्त वशीकरण सम्मोहन आदि कार्यो की सिद्धि के लिए इस महाविद्या का प्रयोग करे इस मंत्र के जप से [करे या कराये] वशीकरण प्रयोग विशेषत: लाभ प्राप्त होता है |
५ : पंचम महाविद्या छिन्नमस्ता : छिन्नमस्ता की साधना से मोक्ष विद्या प्राप्त होती है | विशेषत: शत्रु नाश व् शत्रु पराजय तथा मुक़दमे में विजय के लिए इस महाविद्या का प्रयोग किया जाता है |
६ : षष्टम महाविद्या त्रिपुरभैरवी : त्रिपुरभैरवी [ सिद्ध भैरवी ] की साधना से रोग शांति आर्थिक उन्नति सर्वत्र विजय व्यापर में सर्वोपरि होने के लिए त्रिपुरभैरवी का प्रयोग करे |
७ : सप्तम महाविद्या धूमावती : धूमावती [ लक्ष्मी ] की साधना से पुत्र लाभ धन लाभ और शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभ दायक है |
८ : अष्टम महाविद्या बंगलामुखी : इस अनुष्ठान को सावधानी पूर्वक करना चाहिए,नहीं तो विपरीत प्रभाव पड़ सकता है | इस मन्त्र के प्रभाव से [ जप कराने से ] शत्रुओ पर विजय एवं मुकदमो में विजय प्राप्ति तथा विशेष आर्थिक उन्नति के लाभ है |
९ : नवम महाविद्या मातंगी : मातंगी [ सुमुखी उच्चिस्थ चंडालिक ] इसके अनुष्ठान से जीवन में पूर्णता और विवाह के लिए प्रयोग किया जाता है, मनोकामनापूर्ति के लिए इस मन्त्र का प्रयोग करे |
१० : दशम महाविद्या कमला : कमला [ लक्ष्मी नारायणी ] इस मन्त्र के अनुष्ठान से आर्थिक भौतिक क्षेत्र में उच्चतम स्थिति करने के लिए दरिद्रता दूर करने के लिए व्यापर उन्नति तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस मन्त्र का प्रयोग करे |
[ महाविद्या प्रयोग ]
१ : महाविद्या प्रयोग उस समय किया जाता है जब घर में किसी प्रकार की अशांति हो या बाधा [ भूत प्रेत आदि ] उत्पन्न होती हो जिसके करने परिवार में अशांति हो रही हो तो इस प्रयोग के २१ पाठ कराने अथवा १०८ पाठ कराने व् हवन कराने से तत्काल लाभ प्राप्त होता है | यह प्रयोग अनुभव सिद्ध है |
[ प्रत्यंगिरा व् विपरीत प्रत्यंगिरा स्त्रोत्र ]
श्री प्रत्यंगिरा स्त्रोत्र : प्रत्यंगिरा के शास्त्रीय अनुष्ठान मात्र से समस्त शत्रु नष्ट हो जाते है | इसमें साधक को किसी प्रकार की कोई हानी नहीं होता है | इसके कम से कम १०८ पाठ कराने से लाभ शुरु हो जाता है | मुक़दमे में विजय तथा प्रबल शत्रु क्यों न हो ,उसकी पराजय अवश्य होती है
श्री विपरीत प्रत्यंगिरा स्त्रोत्र : विपरीत प्रत्यंगिरा स्त्रोत्र के पाठ करने मात्र से शत्रु का विशेष क्षय यहाँ तक की वह मृत्यु को भी प्राप्त हो जाता है , तथा इस पाठ के साथ - साथ साधक की सुरक्षा भी होती है | इस का कम से कम १०८ पाठ या संभव हो तो ११०० पाठ करवाहोता हैवे तो सफलता अवश्य प्राप्त होता है|

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

 मोबाईल नं- और व्हाट्सएप नंबर है।-9760924411

 -https://shriramjyotishsadan.in/

 

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय इस प्रकार है।

 

 


शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय इस प्रकार है।
1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।
यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में बांट देना चाहिए।

शिवपुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन-सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से क्या फल मिलता है...
1. बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
2. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
3. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
4. शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
5. शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।
6. यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है।

शिवपुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन-सा फूल चढ़ाने से क्या फल मिलता है...
1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. भगवान शिव की पूजा चमेली के फूल से करने पर वाहन सुख मिलता है।
3. अलसी के फूलों से शिव की पूजा करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
4. शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
5. बेला के फूल से पूजा करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
6. जूही के फूल से भगवान शिव की पूजा करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
7. कनेर के फूलों से भगवान शिव की पूजा करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
10. लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजा में शुभ माना गया है।
11. दूर्वा से भगवान शिव की पूजा करने पर उम्र बढ़ती है।

इन उपायों से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव
1. सावन में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
2. अगर आपके घर में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो सावन में रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करें तथा गुग्गुल का धूप दें।
3. यदि आपके विवाह में अड़चन आ रही है तो सावन में रोज शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं। इससे जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं।

4. सावन में रोज नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और मन प्रसन्न रहेगा।
5. सावन में गरीबों को भोजन कराएं, इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।
6. सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे मन को शांति मिलेगी।

 

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

 मोबाईल नं- और व्हाट्सएप नंबर है।-9760924411

 -https://shriramjyotishsadan.in/

अंक ज्योतिष के अनुसार निन्म उपाय करे.

अंक ज्योतिष के अनुसार निन्म उपाय करे
मूलांक १ - श्री गणेश की पूजा करे और महीने में एक रविवार को गेहू दान करे
मूलांक २ - महालक्ष्मी की पूजा करे और महीने में एक सोमवार को चावल का दान करे
मूलांक ३ – श्री गणेश और लक्ष्मी की साथ में पूजा करे और महीने में एक गुरुवार को चने की दाल का दान करे
मूलांक ४ – श्री हनुमानजी का पूजन करे और महीने में एक शनिवार को काले तिल का दान करे
मूलांक ५ – श्री हरी विष्णु का पूजन करे और महीने में एक बुधवार को साबुत मुंग का दान करे
मूलांक ६ – आशुतोष शिव का पूजन करे और महीने में एक बार बुधवार को गाय को हरा चारा डाले
मूलांक ७ - हररोज शिवलिंग पर जलाभिषेक करे और हर मंगलवार को सफ़ेद तिल का दान करे
मूलांक ८ – श्री कृष्ण का पूजन करे और महीने के हर शनिवार को साबुत मुंग का दान करे
मूलांक ९ - श्री भैरव का पूजन करे और महीने में हर मंगलवार को मसूर की दाल का दान करे..
 

 

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

 मोबाईल नं- और व्हाट्सएप नंबर है।-9760924411

 -https://shriramjyotishsadan.in/

पारिवारिक क्लेश निवारक तंत्र ( उपाय )

 

पारिवारिक क्लेश निवारक तंत्र ( उपाय )
अक्षर लोग हमारे पास नोकरी – बिजनेश – आर्थिक संकट – विवाह – संतान – या फिर शारीरिक तकलीफ यह सारी परेशानी ज्यादा लेकर आते और उनमे से ज्यादातर लोगो से वार्तालाप में यह सामने आता हें की उनके घर और जीवन में क्लेश भी हें जिस वजह से वो परेशान हें, यदि पारिवारिक जीवन सुखमय हो और परिवार के सभ्यो का संपूर्ण सहयोग मिलता हो तो व्यक्त शीघ्र ही उन्नति को प्राप्त करता हें – में यहाँ कुछ ऐसे उपाय दे रहा हू जो कर के आप अपने जीवन से क्लेश को मिटा करे जीवन को सुखमय बना शके .

... परिवार के सभी सदस्यों को साल में एक बार किसी नदी या सरोवर में एक साथ स्नान करना चाहिए

... अगर आपके परिवार में किसी महिला सदस्य की वजह से कलश उत्पन्न हो रहा हो तो उस महिला का स्वभाव शांत करने के लिए उसे एक चांदी की चैन में चांदी के पत्र पर चंद्रमा का यन्त्र बनवाकर उसे धारण करवाना चाहिए ( किसी भी सोमवार को

... अगर आपके परिवार में किसी पुरुष सदाशय की वजह से क्लेश उत्पन्न हो रहा हो तो उस पुरुष से हर सोमवार को चावल का दान करवाए और हररोज सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पण करवाए, अवश्य उसका स्वभाव शांत होगा

... अगर आपके परिवार में स्त्री वर्ग में परस्पर तनाव या विवाद की वजह से क्लेश उत्पन्न हो रहा हो तो ध्यान रहे की सभी महिला सदस्य कभी लाल वस्त्र एक साथ नहीं पहने और हो शके तो उन महिलाओ से कहे की वो माँ दुर्गा का पूजन अवश्य करे

... अगर आपके परिवार में पुरुष वर्ग में परस्पर तनाव या विवाद की वजह से क्लेश उत्पन्न हो रहा हो तो यह घर के में एक कदम्ब वृक्ष की डाली लाकर घर में रखनी चाहिए ( डाली में कमसे कम ७ अखंडित पत्ते होने चाहिए ) हर पूर्णिमा को ये डाली ले जाकर वही कदम्ब वृक्ष के आगे छोड़ दे और वह से दूसरी ले आये इस तरह १८ पूर्णिमा तक करे और साथै में उन पुरुषों को कहे की वो श्री हरी विष्णु के दर्शन अवश्य करे.

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

 मोबाईल नं- और व्हाट्सएप नंबर है।-9760924411

 -https://shriramjyotishsadan.in/

बाल-गोपाल श्रीकृष्ण के मंत्र ना सिर्फ आर्थिक समस्या दूर करते हैं

 

 
बाल-गोपाल श्रीकृष्ण के मंत्र ना सिर्फ आर्थिक समस्या दूर करते हैं बल्कि जीवन की हर परेशानी में कान्हा के चमत्कारी मंत्र सहायक सिद्ध होते हैं। चाहे संतान प्राप्ति हो या घर में होने वाले कलह,  विजय प्राप्ति की अभिलाषा, हर समस्या का अंत करते हैं श्रीकृष्ण के प्रस्तुत मंत्र :घर में होता हो कलह तो पढ़ें यह मंत्र
कृष्णाष्टमी का व्रत करने वालों के सब क्लेश दूर हो जाते हैं। दुख-दरिद्रता से उद्धार होता है। जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने के साथ इस मंत्र का अधिकाधिक जप करें :
कृष्णायवासुदेवायहरयेपरमात्मने। प्रणतक्लेशनाशायगोविन्दायनमोनम:॥
इस मंत्र का नित्य जप करते हुए श्रीकृष्ण की आराधना करें। इससे परिवार में खुशियां वापस लौट आएंगी।

श्रीराम ज्योतिष सदन पंडित आशु बहुगुणा

 मोबाईल नं- और व्हाट्सएप नंबर है।-9760924411

 -https://shriramjyotishsadan.in/

 

आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न करने के अत्यंत सरल और अचूक मंत्र

 

 


 

 आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न करने के अत्यंत सरल और अचूक मंत्र। इन मंत्रों का प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। जप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
जप के पूर्व शिवजी को बिल्व पत्र अर्पित करना या उनके ऊपर जलधारा लगाना चाहिए।
भगवान शंकर का पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय ही अमोघ एवं मोक्षदायी है, किंतु विषम काल में यदि भक्त पर कोई कठिन व्याधि या समस्या आन पड़े तब श्रद्धापूर्वक 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ' के मंत्र का एक लाख जप करना चाहिए। यह बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।

सफ़ेद कनेर और उसका तांत्रिक प्रयोग


 

सफ़ेद कनेर और उसका तांत्रिक प्रयोग
तंत्र शास्त्र में अनेक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है जैसे- काली हल्दी, शंख, रत्न, बांदा, श्रीफल, एकाक्षी नारियल, कौड़ी आदि। इन सबका अलग-अलग महत्व व प्रयोग है। यह सब चमत्कारी वस्तुएं हैं।
ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा है अफेद आक (आंकड़ा)। यह बहुत चमत्कारी पौधा है। यह सामान्य रूप से पाएं जाने वाले आक के पौधे से अलग होता है। इसका उपयोग की तांत्रिक क्रियाओं में किया जाता है। तांत्रिक प्रयोगों से बचने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। जिस घर में यह लगा होता है उस घर किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र या जादू-टोने का असर नहीं होता है।

इस आक के पौधे से भी अधिक चमत्कारी है इससे निर्मित गणेश प्रतिमा। तंत्र शास्त्र में यह बताया गया है कि यदि सफेद आक से निर्मित गणेश प्रतिमा की विधिवत पूजा की जाए तो सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यह गणेश प्रतिमा अद्भुत व चमत्कारी होता है। इसकी पूजा बहुत नियम और कायदों से करनी पड़ती है। नियम से पूजा ना होने पर इसका उचित लाभ नहीं मिल पाता है। इसलिए यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में किसी तरह के तंत्र-मंत्र का असर ना हो तो ये पौधा घर में जरुर लगाएं। इसके अलावा सफेद आक की जड़ को भी तंत्र में बहुत उपयोगी माना जाता है।

Monday, 2 May 2022

गुरु की आवश्यकता क्यों होती है। ?

गुरु की आवश्यकता क्यों होती है। ?

अध्यात्म और साधना के क्षेत्र में गुरु का महत्त्व इसलिए नहीं है। कि वह मंत्र बताता है। अथवा शुद्ध उच्चारण बताता है। या देवी देवता का चुनाव करता है। या शक्तिपात करता है। या पूजा पद्धति बताता है। वह अपनी अर्जित शक्ति शक्तिपात आदि से अथवा अपना अर्जित ज्ञान तो देता ही है। गुरु का महत्त्व इसलिए होता है। की वह सफलता को निश्चित करने के सूत्र देता है। वह हजारों साल के अनुभव और तकनिकी से अवगत कराता है। जिससे सफलता शीघ्र और निश्चित रूप से मिलती है।

कहा जा सकता है। की क्या गुरु की आयु आज के समय में हजार साल हो सकती है। जो वह हजार साल के अनुभव और तकनिकी देता है। नहीं ,वह हजार साल की आयु का भले नहीं हो किन्तु उसमे कई हजार साल के अनुभव होते हैं। और वह देता है। गुरु को उनके गुरु से ,उन्हें उनके गुरु से ,उन्हें उनके गुरु से ,इस क्रम में हजारों सालों के अनुभव ,सफलता ,असफलता के कारण ,उनकी खोजें ,वह तकनीक जिससे इन क्रमों में सफलता निश्चित और शीघ्र मिली ,यह सब प्राप्त हुआ होता है। इसके अलावा विभिन्न गुरु स्तरों पर साधना और सूक्ष्म विचरण के अनुभव | प्राप्त ज्ञान केवल अपने योग्य शिष्यों को ही गुरु द्वारा बताया गया होता है| इस प्रकार के अनुभव क्रमिक रूप से आते हुए गुरु में एकत्र होते हैं। और यह अनुभव कोई गुरु कभी न तो लिखता है। न लिखने की अनुमति देता है। वह सभी शिष्यों को सबकुछ बताता भी नहीं | इसलिए यह तकनीक और अनुभव न किताबों में लिखी जाती है। न संभव है |

इन सब तकनीकियों और ज्ञान के लिए ही गुरु का महत्त्व सर्वाधिक होता है |मंत्र और पद्धतियाँ तो किताबों में भी मिल जाती हैं। किन्तु तकनीक और अनुभव नहीं होते |गुरु द्वारा प्राप्त मंत्र भी जाग्रत और स्वयं सिद्ध होते हैं| यही कारण है। की किताबों से सफलता नहीं मिलती अगर थोड़ी बहुत मिल भी जाए तो कुछ थोडा सा पाने और खुद को श्रेष्ठ समझने में ही जीवन आयु समाप्त हो जाती है। और व्यक्ति अंत में सोचता है काश समय रहते किसी को गुरु बना लिया होता अथवा गुरु खोज लिया होता या कोई योग्य गुरु मिल गया होता तो अधिक सफल हो जाता है।

जय श्रीराम

Friday, 29 April 2022

शनिचरी अमावस्या 2022

वैशाख माह की अमावस्या तिथि कल यानी 30 अप्रैल दिन शनिवार को है। शनिचरी अमावस्या कृष्ण पक्ष की उस अमावस्या को कहते है। जो शनिवार के दिन पड़ती है। हिंदू धर्म में शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व व प्रभाव होता है। जिन जातकों पर शनि की महादशा हो उनके लिए यह शनिश्चरी अमावस्या अति लाभदायक होगी।
मान्यता है। कि इस दिन शनिदेव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर शनि की महादशा के प्रभाव से बचा जा सकता है। यदि आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते है। और उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते है। साथ ही अपने पितरों को खुश करना चाहते है। तो नीचे दिए गए कुछ उपायों को करें। इन उपायों को करने से शनि देव और पितर दोनों प्रसन्न होते हैं। उनकी प्रसन्नता से मान सम्मान, सुख-समृद्धि, धन-वैभव आदि की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में अमावस्या तिथि को पितरों को समर्पित माना गया है। अमावस्या तिथि को पितरों से जुड़े किसी भी काम को करने के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। साथ ही इस दिन पूजा-पाठ, स्नान, दान आदि का भी विशेष महत्व बताया गया है।1. शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की बजरंगबली की भी पूजा की जाती है। मान्यता है। कि ऐसा करने से शनिदेव व बजरंगबली की भक्तों पर कृपा बनी रहती है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि अमावस्या के दिन हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।
2. शनि अमावस्या के दिन हनुमान जी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते है। और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
3. शनि अमावस्या के दिन सातमुखी रूद्राक्ष को गंगाजल से धोकर धारण करना चाहिए। मान्यता है। कि ऐसा करने से समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
4. शनि अमावस्या के दिन दान करने से तरक्की मिलने की मान्यता है।
5. शनि अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे चौमुखा दीपक जलाने से धन-संपदा की प्राप्ति होती है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि अमावस्या के दिन काली गाय की पूजा करें। ध्यान रखें कि उस गाय पर कोई रंग न हो। पूजा के दौरान उसको आठ बूंदी के लड्डू खिलाए और फिर सात बार परिक्रमा करें। इसके बाद गाय की पूंछ से अपने सिर को आठ बार झाड़ लें। ऐसा करने से शनि दोष दूर होता है। और शनिदेव के आशीर्वाद से सभी दुख व कष्ट दूर होते हैं।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की अवश्य पूजा करें। पीपल की जड़ में दूध और जल अर्पित करें और फिर पांच पीपल के पत्तों पर पांच तरह की मिठाई रखकर पीपल के पास रख दें, इसके बाद घी का दीपक जलाएं और सात परिक्रमा लगाएं। साथ ही संभव हो सके तो एक पीपल का पेड़ भी लगाएं और उसको रविवार के दिन छोड़कर हर रोज जल दें। ऐसा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। और नौकरी व व्यवसाय में उन्नति होती है। शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शनि अमावस्या के दिन नवग्रह मंदिर में जाकर शनिदेव की पूजा आराधना करें। साथ ही शनि चालीसा और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें। और फिर शनिदेव के मंत्र का जप करें। इसके बाद शनिदेव पर तेल, काले तिल और नीले रंग का फूल अर्पित करें। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते है। और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

Thursday, 7 April 2022

महाकाल स्तोत्रं

महाकाल स्तोत्रं 
इस स्तोत्र को भगवान् महाकाल ने खुद
भैरवी को बताया था।
इसकी महिमा का जितना वर्णन किया जाये कम है। इसमें भगवान् महाकाल के विभिन्न नामों का वर्णन करते हुए उनकी स्तुति की गयी है।
शिव भक्तों के लिए यह स्तोत्र वरदान स्वरुप है। नित्य एक बार जप भी साधक के अन्दर शक्ति तत्त्व और वीर तत्त्व जाग्रत कर देता है। मन में प्रफुल्लता आ जाती है। भगवान शिव की साधना में यदि इसका एक बार जप कर लिया जाये तो सफलता की सम्भावना बढ जाती है।
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते
महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते
महाकाल महादेव महाकाल महा प्रभो
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते
महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहन
महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमः
उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः
भीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमः
ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः
सघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमः
अधः काल अग्नि रुद्राय रूद्र रूप आय वै नमः
स्थितुपति लयानाम च हेतु रूपआय वै नमः
परमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुते
पवनाय नमतुभ्यम हुताशन नमोस्तुते
सोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुते
यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः
सर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुते
ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुते
रूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते
स्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमः
नमः उभय रूपा भ्याम शाश्वताय नमो नमः
हुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः
सचिदानंद रूपआय महाकालाय ते नमः
प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते
प्रसीद में महेशान दिग्वासाया नमो नमः
ॐ ह्रीं माया - स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे
स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः
फल श्रुति
इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी
कीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहम।।
9760924411

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

  दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती पाठ विधि पूजनकर्ता स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ। माथे पर अपनी पसंद क...