Sunday, 4 January 2015

विभूति मंत्र अथवा आपरक्षा मन्तर



विभूति मंत्र अथवा आपरक्षा मन्तर

(कृपया किसी भी मन्तर को अपने आप अनुष्ठान नही करना चाहिए . बगैर गुरु के अनुष्ठान नही किया जाता है )
ॐ नमो गुरूजी को आदेस गुरु को जुवार विद्वामाता को नमस्कार : विभूति माता विभूति पिता विभूति तीन लोक तारणी अंतर सीला मौन प्रवात सुमरी मै . श्री गोरख ऊँ दर्शन पैरो मै तुमरे नाऊँ ज्ञान खड्ग ल़े मै काल सन्गारो जब मरों तब डंक बजाऊं डंकण शंकण मै हाफिर खाऊं रोग पिंड विघिन बिनास ण जावै कचा घडा तरवे पाणि : डाडा वस्त्र गये कुआर शंकर स्वामी करले विचार : गल मै पैरो मोती हार : अमर दूदी पिउन धीर : बजरन्ग्या सादी ल़े रे बाबा श्री गोरखबीर : गोरख कुञ्जळी चारन्ति अर विचारती श्री गुरुपा काय नमस्तुते : घट पर गोष छेने रुतहा के वस्त्र नाथ का वचन : सीदा जने ना मा रि भय दुत : धर्म धात्री तुम को आरि : वंदि कोट तुमकौ आरि: वालारो वै फन्तासुर दाड़ी ईस पिंड का असी मसाण ताड़ी :बावन बीर ताड़ो छ कड़ दैत्र तोड़ो ताड़ी अग्नि पठ देउन उज्याळी ताड़ी ताड़ी माहा ताड़ी ईस पिंड का सब्बा सौ बाण दियुं ढोळी प्र्च्चेद का बाण दिऊँ ढाळी प्रभेद को बाण दिऊँ ढाळी प्रजन्त्र को बाण दिऊँ ढाळी प्रमन्त्र को बाण दिऊँ टाळी ल्यूं बाण दिऊँ टाळी लग्वायुं वां दिऊँ टाळी वायुं बाण दिऊँ ढाळी बाप बीर हणमंत चार डांडा पुरवी तोड्न्तो लायो : बाप बीर हणमंत चार डांडा पसीमी तोडंतो ल्याओ : बाप बीर हणमंत चार डांडा दखणी तोड्न्तो लायो बाबा बाप हणमंत चार डांडा उतरी तोड्न्तो ल्यायो : बाबा बीर बापबीर हणमंत जोधा चार दिसा का चार बाण तोड्न्तो ल्यायो : चार बाण औदी का तोड्न्तो ल्यायो बापबीर हणमंत जोधा से क्वा क्वा लंकाण बाण झंकाण बाण उखेल : बाबा बापबीर हणमंत खायु बाण उखेल लायुं बाण लग्वायुं बाण उखेल , कौं कौं बाण उखेल कवट को बाण उखेल छल को बाण उखेल छिद्र को बाण उखेल , लस्ग्दो बाण उखेल चस्गदो बाण उखेल , नाटक चेटक को बाण उखेल ,: ईस पिंड को आब्र्ट भैरों को बाण उखेल , धौण तोड्दा भैरों का बाण उखेल , मौण मोड़दा भैरों का बाप उखेल बापबीर हणमंत जोधा दृष्टि भैरों का बाण उखेल , घोर भैरों का बाण उखेल अघोर भैरों का बाण उखेल, कच्च्या भैरों को बाण उखेल , निच्या भैरों को बाण उखेल , खंकार भैरों को बाण उखेल , हंकार भैरों को बाण उखेल , लोटण भैरों को बाण उखेल , लटबटा भैरों का बाण उखेल , . सुसा भैरों का बाण उखेल , चौसठ भैरों का बाण उखेल , नौ नरसिंगुं ,बाण उखेल , .प्रथम सुन भैरोंकी बाणी को बाण उखेल , बसून भैरों की बाणी को बाण उखेल घोर भैरिओं की बाणी को बाण उखेल , अघोर भैरों की बाणी को बाण उखेल चौसठ भैरों की बाणी को बाण उखेल : बापबीर हणमंत जोधा दूना भैरों को बाणी को बाण उखेल , पोसण भैरों की बाणी को बाण उखेल, धौण तोड्दा भैरों की बाणी को बाण उखेल , मौण तोड्दा भैरों की बाणी को बाण उखेल , बाबा अठावन सौ कलुवा का बाण उखेल , बाप बीर हणमंत नि उखेली खाई त सात भाई चमारिका हात को पाणी पी : सुई का रंगत नायी: गै काच्डा दांत लगाई : नरम जाई : जागजंत्र लागतन्त्र : फुर मन्तर इश्वरो वाच : या रखवाळी विभूति मंत्रणि की छ : अपणा वास्ता आप रक्षा की छ और उखेल का काम कु सीध छ : शुभम :

कमरदानी मन्तर



कमरदानी मन्तर
ॐ नमो गुरु जी को आदेस . गुरु को जुवार विद्वामाता को नमस्कार . पैल कामरू कामरू थै : मेगल दानौ कामरू लै : छेपक दानौ करे को उजाला असी दानौ कामरा पारा: मेगल दानौ चाड़ण लागदा डांडा दानौ हलकण लागदा : बटुक भैरों हंशदो आयो चल हळव्या दिन छोड़ण लायो : घर घर देवी पूजा लायो : तुमेरू तुमे रक्षा फुर हो माई . गुरु का वाक: एक दोसरी कामरू थै : गेग्ड़ दानी कामरू लै : छेपक दानौ मारू छाल : . कामरू प्रचंडा कामुस्या हठ : जब हणुमंत शकिर ह्व़े नौलक दानौ भागी गे भागवा दानौ भागण लागवा : उबा भैरों परबत जाग्वा: भैरों खोले रथ फुर मन्तर इश्वरो वाच : तीसरी कामरू कामरू थै ; मेगल दोनों कामरू लै : गोला दानौ भयवार : बस्तरी दानौ कामरू पारा : पैरो दानौल लियो औतार : कावर देस्तो आयो भैरव खेत्रपाल : घांडी घुन्गरी उठे रिमीझिमीकार : राख देवी पारबली हमारा नाऊँ छेली मुड़ी भैसा दानौ लखब्याबद कामरू जाग्वो बटुका भैरों कामरू जाग्वों बतीस ब्यादी न्ठ्या भाग्वा बंदी जम्पो नगर जाई बतीस ब्यादी खुली जाई अप बति श्री राम की कार : ब्यादी नियो दोसरी बार : आवे कावरू अहोहार : अरहर कम्पे मेरु मन्दिर बजरंगी पार : मेगल दानौ हंकारो जाई : कावरू देसते खेड़ पेडाई : कपिला भैरों पाँव तो आयी सौल से ब्यादी लिच्ली लायो कपिला गोरिला दानौ मिल घटगडा विका वत हिंट . बावरी चोडा चड़कण : लाग्यो थरहर मन्दिर कम्पण लागवा गोठ गया इड दानौ मारा बाबरु भितर जीउराँ मार्या अब पवंति श्री रात की कार : ब्यादी नि अवे दोसरी बार : फुट मन्तर इश्वरो वाच : चौथी कामरू कामरू थैई चौडियाखेत्रपाल : गूंगी daanकतमरु लेई : गोला भैरों मन्दिर ठोई : टं का सबद ना जाने कोई फुर मन्तर इश्वरो वाच : पांचो कामरू थैई चौडिया खेत्रपाल कामरू लैई गूंगी दानौ कुंकारो ध्याऊं असी मसाण को भयो मिलाऊं : सिंगी चेडा हुकुम करे : नौलक दानौ थरहट पड़े : लुवारन घण गडायो तब असी दानौ की गल में पैराया माठल मुठल भैरों खेत्रपाल पवन्तो आयो वार ब्यादी लिली आयो ब्यादी रिबेसुर पूछण लायो : घर घर पूछे रिषेस्वर ब्यादी : नौलक दानौ लियो सादी : ब्यादी रिषेस्वरन लाया ताड़ा तब आयी पौंछे मदेस भराडा : आदा डमरू तिरसूल धारा बतीस ब्याधि लिचलेसमोदर पारा तब बीररूपी हणिमंतन लियो औतार : लेयिक मुगदर कामरू गये कामरू थरहर आणे सौल ब्यादी लोटो धरणे तले देहि बजरंगी श्री राम की कार : ब्याधि नी आवे दोसरिवार : रिख बंध थिर बन्धु बंधौ दौं दौं कार ; कामरू प्रचंड का मुख्या बीर खेत्रपाल : तब ब्यादी रिषेसुर कामरू गये घर घर तनो की पूजा लागी तब हणीमंतन मारी उछाल कम्पे कामरू मछ पाताळ : कम्पे कामरू डूंक हलाई पौन का सबद चलेच लेय्यीक मुकदर कामरू गये हणीमंत मुदगर दिनी ताल : सर्वब्यादी लिचले समोदर पार : फुर मंतर इश्व्रोवाच :
कन्च मन्तर काली मसाण : कामरू प्रचंड कामुख्या थान : भाज्दो , सीद कामरू जान : बोले देवी मन्दिर हाकि ललु ब्यादी न्ति या भागी : महाविद्या महादेवन उपाई व्यादी रिसेसुर का गल मा पिराई गोरक्नाथ समरो अब मैं तैं धुते सिषी खेत्रपाल भयो आदि सगती को पूत :टनेल सुमरी कामरू की सेउले खेत्रपाल लेखा निरंजन भयो : फुर मन्तर इश्वारोवाच : छटी कामरू कामरू थैई गेवर दानौ कामरू लेई : सुमरा दानौ करे अजाला : चौंडा दानौ कामरू पारा : चिलिमिली दानौ वसत्री दानौ को भयो मिलाज : सुमरा दानौ आदरु आयो वर्मा दानौ लेषण लागो चलहल चलणे लगा चार ब्यादी छोड़ण लाग्यो : आगे कामरू कामरू थै सुमरा सेट करौं विकराळ : लह लह हर्ट भर्यो विकराल़ा खंड प्रखंड कीय फाळ : सीद आसीद तब भयो विकराळ तब सरे व्यास्दी मरे श्री राम का काज ; हणमंत करे गुरु का वाक् : सीद की कार तब हणिमंत ल्क्नका पर जालि ट : लंकुट भैरों वा दोसरा सेट फुर मन्तर इश्वारोवाच
सातो कामरू कामरू थै सूद्र दानौ कामरू ल़े , इनल वीनल रूप उरावल खंडित मंडित सीदत सादत : बारा ब्यादी रिषेसुर पारसुर दानौ भयो : साट भाग्वे ज्युन्रा बतीस कोष : आपै वर्मा सबद फुराऊं : कामरू दानौ शंकर भैरों असरन कुंडली खेत्रपाल भैरों जेमला दानौ करे सुम्रिता त्रीण पाताळ का मरु गंजे सीदु शर ; बतीस ब्यादी लीच्ले समोदर पार जब चले बीर रूपी ह्न्मन्त चले लेईक मुदगर कामरू गये हणमंत मुदगर व्याधि णे ताल , सर्व व्याधि जी चले शगती पाताळ : सीव की अंग्वा ईश्वर की वाच्या फुर मन्तर इश्व्रोवाच : आटो कामरू मैगल दानौ कामरू लई रगत द्वि तुमको जै जैकार : तुन्मको नमस्कार बंदी कासमरी देस की विधी उखेल , मारूवाड़ देस की विद्या उखेल , कुंकुम छल़ा की विध्या उखेल जलन्द्र देस की विध्या उखेल : गोरष खंड की विध्या उखेल स्वा लाख परबत की विध्या उखेल बार लाख बैराड़ विध्या उखेल लुवार लाख भोटन्त की विध्या उखेल साट लाख सलाण की विध्या उखेल पांच लाख पछाड़ की विध्या उखेल . नौ लाख दुभाग की विध्वा उखेल मान्सरी वर की विध्वा उखेल फुर्मन्त्र इश्व्रोवाच : नौं कामरू कामरू थैं शनेशर दानौ कामरू लाई मन्दिर बैठा थ्य्र सौल हो गोपी भयो ध्यार : जमरघंटा दानौ भरे सेला काळ जिनुरा तनौ से डरयो : महाविद्वा महादेवन उषाई : व्याधि रिषेसुर का गल मा पैराई. हामू सुमरो कामुख्या माई लोचडि लोचडा भस्मत हो जाई : श्री श्रेष्ठ भैरवो वाच : फुर मन्तर इसुरोवाच . इति कमरदानि मन्तर सम्पूर्ण : शुभम

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

  दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती पाठ विधि पूजनकर्ता स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ। माथे पर अपनी पसंद क...