छाया ,
नगजाड डोलगड्डी
अनुष्ठान में दरियावली मन्त्र
छाया का अर्थ है किसी भूत , अतृप्त
आत्मा का किसी महिला पर दोष लगना . छाय
निवारण हेतु कुमौं एवम गढवाल में छाय पूजी जाति है जो की एक तांत्रिक
अनुष्ठान है छाया तन्त्र के कई प्रकार
के अनुष्ठान होते हैं . सादी
छाया ,
नगजोड़ , डोलगड्डी आदि
. नगजोड़ (महिला को नंगा अनुष्ठान करना
पड़ता है ) अनुष्ठान के डो भाग होते हैं एक घर में एवम दूसरा किसी नदी/
गधन
किनारे या किसी उन्चीए छोटी में
छाया अनुष्ठान में मान्त्रिक दरियावली भी पढ़ता है
या कहें की
दरियावली मन्त्र पढ़ता है . दरियावली के दोहे बहुत
हैं उन्हें एक साथ संकलित
करना इस मध्यम में सम्भव नही है किन्तु मैं कुछ दोहों को पाठकों के सामने
उदधगृत कर रहा हूँ जिससे उन्हें समझ आ सके की गढ़वाल में नाथपंथी मन्त्रों
की असलियत क्या है ?
और इन मन्त्रों का हमारे आज के जीवन में भी क्योंकर
महत्व है . बिना पढ़े ही हम
पढ़े लिखे लोग अपनी धरोहर (मन्त्र) की
अवमानना किस तरह कर रहे हैं वह दरिय्वाली के कुछ पद
पढ़ कर समझ में आ जायेगा !!
दरिया लच्छन साधू का
क्या गिरही क्या भेख
निहकपटी निरसंक रही बाहर भीतर एक
सत शब्द सत गूमुखी मत गजंद -मुखदन्त
यह तो तोड़े पौलगढ़ वह
तोड़े करम अनंत
दांत रहे हस्ति बना पौल ण टूटे कोय
कई कर थारे कामिनी के खैलाराँ होय
मतवादी जाने नही ततवादी की बात
सूरज उगा उल्लुवा गिं अँधेरी रात
सीखत ज्ञानी ज्ञान गम करे ब्रह्मा की बात
दरिया बाहर चांदनी भीतर काली रात
दरिया बहू बकबाद तज कर अनहद से नेह
औंधा कलसा उपरे कंहाँ बरसावे मेह
जन दरिया उपदेस से भितर प्रेम सधीर
गाहक हो कोई हीक कर कहाँ दिखावे हीर
दरिया गैला जगत को क्या कीजै सुलझाय
सुलझाया सुलझे नही सुलझ सुलझ उलझाय
रोग नीसरै देह में पत्थर पूजे जाय
कंचन कंचन ही सदा कांच कांच को कांच
दरिया झूठ सो झूठ है सांच सांच सौ सांच
इसी तरह
दरियावली में सैकड़ो पद हैं जो छाया या अन्य तांत्रिक अनुष्ठानो में मान्त्रिक
-तांत्रिक पढ़ता है और अब आपको भी समझ में आ जाएगा की दरियावली के
मन्तर
दर्शन , सच्चाई
,
आध्यात्म , वास्तविकता
से भरे हैं