भूत भगाने हेतु थप्पड़ क्यों मारा जाता है ?
भूत भगाने हेतु थप्पड़ क्यों मारा जाता है ?
जो गढवाल - कुमाऊं के गाँव में रहे हैं और भूत भगाने
की क्रिया को जिन्होंने देखा हो या अनुभव किया हो तो उन्हेंने
देखा होगा कि
झाड़खंडी भूत
लगे मनुष्य को थप्पड़ मरता है या चावल के दानो का ताड़
देता है . कुछ लोग सोचते हैं कि यह अज्ञानियों का कोई खेल है
जी नही यह भुतहा गये मनुष्य को थप्पड़ मारने वाला तांत्रिक
अनुष्ठान अज्ञानबस नही
अपनाया गया है अपितु विज्ञानं भैरव या भैरव तंत्र के एक विशेष
सिधांत को ब्यवहारिक
रूप देने हुतू अपनाया
गया है
विज्ञान भैरव या भैरव तंत्र में एक सिद्धांत इस
प्रकार है
यस्य कस्येंद्रियस्यापी व्याघाताच्च निरोध्त:
प्रवष्टिस्याद्व्ये शुन्य तत्रैवात्मा प्रकाशते
यदि अचानक या स्वयम शरीर के किसी अंग पर किसी वाह्य
वस्तु से आघात किया जाय तो आत्म दर्शन याने भैरव प्राप्ति होती है
सभी को अनुभव होगा कि जब कभी अपघात से
(accidently
) किसी बस्तु से जोर से टकराते
हैं या कोई वस्तु हमारे शरीर के किसी अंग से जोर से टकराती है तो मनुष्य
ना तो भूत काल की शरम या भविष्य की कोई बात सोचता है अपितु पूर्ण वर्तमान
(ना भूत ना भविष्य की सोच/विचार) में आ जाता है. पूर्ण वर्तमान क़ी स्तिथि
में आने के वक्त ही मनुष्य आत्मा से आत्मसात करता है या असीम आनन्द को
प्राप्त होता है
भूत लगना याने डर याने भूतकाल में जीना . जब भुतहे
मनुष्य को थप्पड़ मारा जाता है तो वह वर्तमान में आ जाता
है . चावल के दानो का ताड़ भी इसी सिद्धांत के अनुसार दिया जाता है