Showing posts with label श्रीगुरुदेव. Show all posts
Showing posts with label श्रीगुरुदेव. Show all posts

Saturday 11 September 2021

श्रीगुरुदेव

सीताराम
श्रीनाथादिगुरुत्रयं गणपतिं पीठत्रयं भैरवम् ।
सिद्धौघं वटुकत्रयं पदयुगं दूतीक्रमं मण्डलम् ॥
वीरान्द्वयष्टचतुष्कषष्टिनवकं वीरावलीपञ्चकम् । श्रीमन्मालिनिमन्त्रराजसहितं वन्दे गुरोर्मण्डलम् ॥

आदि गुरु भगवान दत्तात्रेय जी महाराज कीनाराम जी से कहे हैं-
"माया अगम अनंत की, पार न पावै कोई।
जो जाने जाके कछु, काया परिचय होई।"
इससे स्पष्ट हैकि माया को जानने का सहज उपाय काया परिचय करना है।
महाराज बाबा कीनाराम जी ने कहा-
"जो ब्रह्माण्ड सो पिंड महँ, सकल पदारथ जानि।
त्रिधा शरीर भेद लै, कारन कारज जानि।।"

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

  दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती पाठ विधि पूजनकर्ता स्नान करके, आसन शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करके, शुद्ध आसन पर बैठ जाएँ। माथे पर अपनी पसंद क...