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Monday, 30 August 2021

बगलामुखी देवी

मंत्र | 
ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।
बगलामुखी कवच-पाठ | 
शिरो मेंपातु ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं पातुललाटकम ।
सम्बोधनपदं पातु नेत्रे श्रीबगलानने ।। १
श्रुतौ मम रिपुं पातु नासिकां नाशयद्वयम् ।
पातु गण्डौ सदा मामैश्वर्याण्यन्तं तु मस्तकम् ।। २
देहिद्वन्द्वं सदा जिह्वां पातु शीघ्रं वचो मम ।
कण्ठदेशं मनः पातु वाञ्छितं बाहुमूलकम् ।। ३
कार्यं साधयद्वन्द्वं तु करौ पातु सदा मम ।
मायायुक्ता तथा स्वाहा, हृदयं पातु सर्वदा ।। ४
अष्टाधिक चत्वारिंशदण्डाढया बगलामुखी ।
रक्षां करोतु सर्वत्र गृहेरण्ये सदा मम ।। ५
ब्रह्मास्त्राख्यो मनुः पातु सर्वांगे सर्वसन्धिषु ।
मन्त्रराजः सदा रक्षां करोतु मम सर्वदा ।। ६
ॐ ह्रीं पातु नाभिदेशं कटिं मे बगलावतु ।
मुखिवर्णद्वयं पातु लिंग मे मुष्क-युग्मकम् ।। ७
जानुनी सर्वदुष्टानां पातु मे वर्णपञ्चकम् ।
वाचं मुखं तथा पादं षड्वर्णाः परमेश्वरी ।। ८
जंघायुग्मे सदा पातु बगला रिपुमोहिनी ।
स्तम्भयेति पदं पृष्ठं पातु वर्णत्रयं मम ।। ९
जिह्वावर्णद्वयं पातु गुल्फौ मे कीलयेति च ।
पादोर्ध्व सर्वदा पातु बुद्धिं पादतले मम ।। १०
विनाशयपदं पातु पादांगुल्योर्नखानि मे ।
ह्रीं बीजं सर्वदा पातु बुद्धिन्द्रियवचांसि मे ।। ११
सर्वांगं प्रणवः पातु स्वाहा रोमाणि मेवतु ।
ब्राह्मी पूर्वदले पातु चाग्नेय्यां विष्णुवल्लभा ।। १२
माहेशी दक्षिणे पातु चामुण्डा राक्षसेवतु ।
कौमारी पश्चिमे पातु वायव्ये चापराजिता ।। १३
वाराही चोत्तरे पातु नारसिंही शिवेवतु ।
ऊर्ध्वं पातु महालक्ष्मीः पाताले शारदावतु ।। १४
इत्यष्टौ शक्तयः पान्तु सायुधाश्च सवाहनाः ।
राजद्वारे महादुर्गे पातु मां गणनायकः ।। १५
श्मशाने जलमध्ये च भैरवश्च सदाऽवतु ।
द्विभुजा रक्तवसनाः सर्वाभरणभूषिताः ।। १६
योगिन्यः सर्वदा पान्तु महारण्ये सदा मम ।
इति ते कथितं देवि कवचं परमाद्भुतम् ।। १७
बगालामुखि - पूजन का यंत्र |
पहले त्रिकोण बनाकर, उसके बाहर षटकोण अंकित करके वृत्त तथा अष्टदल पद्म को अंकित करे! उसके बहिर्भाग में भूपुर अंकित करके यंत्र को प्रस्तुत करना चाहिए! यंत्र को अष्टगंध से भोजपत्र के ऊपर लिखना चाहिए!
माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.
पीत वस्त्र धारण कर. हल्दी की गाँठ से निर्मित अर्थात जिसमें हल्दी की गाँठ लगी हुई हों,  माला से प्रतिदिन एक लाख की संख्या में मन्त्र का जप करना चाहिए।

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