कभी-कभी व्यक्ति का चौराहे पर रखी हुई वस्तु पर पैर पड़ जाता है या लाग हो जाती है या कोई व्यंतर
आत्मा का शरीर से स्पर्श हो जाता है अथवा प्रेतात्मा आदि का साया पड़ जाता है तो व्यक्ति तुरंत अस्वस्थ हो जाता है। वह पागलों जैसी हरकतें कर सकता है, ज्वर से पीड़ित हो सकता है, उसका खाना-पीना छूट सकता है। इन सब कारणों का निदान चिकित्सकों के पास नहीं होता, इनका उपचार सिर्फ टोटकों द्वारा ही संभव होता है।
यह टोटका निम्न प्रकार से किया जाता है-
* सबसे पहले गाय के गोबर का कंडा व जली लकड़ी की राख को पानी से भिगोकर एक लड्डू बनाएँ।
* इसके बाद इसमें एक सिक्का गाड़ दें।
* फिर उस पर काजल और रोली की सात बिंदी लगा दें।
* तत्पश्चात्लोहे की एक कील उसमें गाड़ दें।
* अब उस लड्डू को अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतारकर चुपचाप नजदीक के किसी चौराहे पर रख आएँ।
* आते-जाते समय किसी से बातचीत न करें तथा पीछे मुड़कर भी न देखें। इस क्रिया से रोगी बहुत जल्दी स्वस्थ हो जाएगा।
दूसरा प्रयोग :
* झाडू व धान कूटने वाला मूसल अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से उतारकर उसके सिरहाने रख दें।
* अपने बाएँ पैर का जूता अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतारकर (घुमाकर) प्रत्येक बार उल्टा जूता जमीन पर पीटें।
* सात ही बार वह जूता उस व्यक्ति को सुँघाएँ, इस प्रक्रिया से भी अस्वस्थ व्यक्ति ठीक हो जाएगा।
किसी भटकती आत्मा की लाग
* यदि किसी व्यक्ति को किसी भटकती आत्मा (शाकिनी, प्रेतनी) की लाग हो गई हो तो गंधक, गुग्गुल, लाख, लोबान, हाथी दाँत, सर्प की केंचुली व पीड़ित व्यक्ति के सिर का एक बाल लेकर सबको मिलाकर व पीसकर जलाएँ तथा उसका धुआँ रोगी को दें। इससे व्यक्ति पर से लाग हट जाती है।...