मां काली तंत्र
*दस महाविद्याओं में काली प्रथम हैं। कालिका पुराण के अनुसार एक बार देवताओं ने हिमालय पर जाकर महामाया का स्तवन किया। पुराणकार के अनुसार यह स्थान मतंगमुनि का आश्रम था। स्तुति से प्रसन्न होकर भगवती ने मतंग-वनिता बनकर देवताओं को दर्शन दिया और पुछा कि 'तुमलोग किस की स्तुति कर रहे हो।' तत्काल उनके श्रीविग्रह से काले पहाड के समान वर्ण वाली दिव्य नारी का प्राकट्य हुआ। उस महा तेजस्विनी ने स्वयं ही देवताओं की ओर से उत्तर दिया कि 'ये लोग मेरा ही स्तवन कर रहे हैं।' वे गाढ काजल के समान कृष्णा थी, इसलिए उनका नाम 'काली' पडा। महाकाली प्रलय काल से सम्बद्ध होने से अतएव कृष्णवर्णा है। वे शव पर आरुढ इसीलिए हैं कि शक्तिविहीन विश्व मृत ही हैं। शत्रुसंहारक शक्ति भयावह होती हैं, इसीलिए काली की मूर्ति भयावह हैं। शत्रु-संहार के बाद विजयी योद्धा का अट्टहास भीषणता के लिए होता हैं, इसलिए महाकाली हँसती रहती हैं।*
*माता काली शत्रु-संहारक है, वह कभी भक्तो को निराश नही करती।*
9760924411
No comments:
Post a Comment