Friday 17 September 2021

मन्त्र ऐसे दिव्यशब्दों का समूह है।

। जपात सिद्धिर्जपातसिद्धिर्जपात्सिद्धिर्नसंशय: ।

---मन्त्र ऐसे दिव्यशब्दों का समूह है ,जिसे दृढ इच्छाशक्तिपूर्वक उच्चारण एवं मनन से ही हम अलौकिक काम कर सकते हैं । चुने हुए गुप्त शब्द ही मन्त्र हैं । इनमें शब्दों का ऐसा क्रम दिया जाता है ,कि उनके मौन या अमौन अवस्था में उच्चारण मात्र से शून्य महाकाश में एक विचित्र कम्पन उत्पन्न होती है ,जिसमें अभिसिप्त कार्यसिद्धि एवं रचनात्मक प्रबल -प्रछिन्न शक्ति होती है -----।
अस्तु ------मन्त्र शास्त्र के अनुसार वेदमन्त्रों को ब्रह्मा में शक्ति प्रदान की । तांत्रिक प्रयोगों को भगवान शिव ने शक्ति संपन्न किया । इसी प्रकार कलियुग में शिवावतार श्री शाबरनाथ जी ने शाबर मन्त्रों को अद्भुत शक्ति प्रदान की । शाबरमन्त्र अनमिल बेजोड़ शब्दों का एक समूह होता है ,जो कि अर्थहीन मालूम देते हैं ,परन्तु भगवान शंकर जी के प्रताप से ये मन्त्र अवन्ध्य प्रभाव रखते हैं ----
"अनमिल आखर अर्थ न जापू । प्रकट प्रभाव महेश प्रतापू {रामचरित मानस }
नोट -यंत्र -मन्त्र एवं तंत्रों के योग्य बनें ,किसी गुरु के सान्निध्य में सिद्धि करें ,साथ ही गुप्तता रखें, तब फिर इनके चमत्कार से अपनी और जग की रक्षा करें ।

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