हनुमानजी को रूद्रावतार भी कहा जाता है। वह भगवान शिव की तरह ही जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की हर इच्छा पूरी करते हैं। यूं तो हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए कई तरीके हैं फिर भी कुछ विशेष तांत्रिक प्रयोगों के द्वारा उनके न केवल दर्शन किए जा सकते हैं वरन उनसे मनचाहा वरदान भी पाया जा सकता है।
हनुमान प्रत्यक्ष दर्शन साधना भी ऎसी ही एक तांत्रिक विधि है जिसके द्वारा हनुमानजी के दर्शन होते हैं। इस साधना को किसी मंदिर या गुप्त स्थान पर ही किया जाता है। यदि किसी नदी के कि नारे एकांत स्थान या पर्वत पर स्थित मंदिर में किया जाए तो ज्यादा बेहतर होता है। कुल मिलाकर साधना का स्थान पूर्णतया पवित्र, शांत और शुद्ध होना चाहिए।
पूजा के पहले करें ये तैयारियां
इस पूजा के लिए आपको सबसे पहले सफेद या लाल वस्त्र ले लेने चाहिए। बिना सिले वस्त्र जैसे धोती अधिक उपयुक्त है परन्तु अनिवार्य नहीं है। साथ ही आसन भी सफेद या लाल ही होना चाहिए। पूजा के लिए लड्डू, सिंदूर, केले, दीपक, धूप, गंगाजल, जल का लोटा दूध, माचिस तथा लाल या सफेद फूल ले लें।
मंगलवार को उपवास रखें। इसके साथ ही जल के लोटे में दूध मिला दें और उसे जाप करने के बाद पीपल के पेड़ में चढ़ा दे और हनुमानजी के मंदिर में घी का दीपक जला कर साधना के लिए आज्ञा दें। आपको जल्दी ही स्वप्न में या अन्य किसी संकेत द्वारा हनुमानजी की पूजा की आज्ञा मिल जाएगी। यदि नहीं मिलती है तो इस पूजा को न करें।
ऎसे करें पूजा
ऊपर बताए अनुसार किसी शांत, शुद्ध और एकान्त स्थान पर जाकर गंगा जल छिड़क कर जगह को पवित्र कर लें। वहां गाय के गोबर लीप कर एक चौका बनालें। उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बना कर फूल बिछाएं और उस पर हनुमानजी की मूर्ति, चित्र या यंत्र रखें। इसके बाद आसन पर विराजमान होकर मन ही मन भगवान गणेश और अपने गुरू से पूजा आरंभ करने की आज्ञा लें। इसके बाद आप अपनी साधना आरंभ करें।
दीपक जलाकर, पुष्प अर्पण कर भगवान राम के नाम की एक माला का जाप कर भलीभांति हनुमानजी की पूजा-अर्चना कर नीचे दिए मंत्र का मूंगे की माला से 11 माला जाप करें और हनुमानजी को भोग अर्पण करें। भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य होना चाहिए। ध्यान रहें प्रतिदिन फल और पुष्प ताजा ही लाने चाहिए। इसके साथ ही अपने आसन और हनुमानजी के चारों तरफ राम नाम का जाप करते हुए एक गोल घेरा बना लें। यह घेरा आपकी सभी विध्नों से रक्षा करेगा। जाप के लिए मंत्र इस प्रकार है
ओम नमो हनुमान बाराह वर्ष के जवान हाथ में लड्डू मुख में पान,
हो के मारू आवन मेरे बाबा हनुमान ये नम:।
पूजा में इन नियमों का पालन अवश्य करें
मंत्र प्रतिदिन शाम को 7 से 11 बजे के बीच ही करना है। भोग लगाकर प्रसाद स्वयं खाएं या छोटे लड़कों को बांट दें।
साधना 41 दिन चलती है और इसे मंगलवार या गुरूवार को ही शुरू करें।
पूरे 41 दिनों के दौरान किसी महिला के संपर्क में न आएं। स्वयं का खाना भी खुद ही बना कर खाएं।
मन-मस्तिष्क में किसी भी तरह का कोई विकार न आने दें और अपने आपको पूरी तरह से भगवान के चरणों में समर्पित कर दें।
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सिर्फ 14 दिन में ही हो सकते हैं आपको दर्शन
साधना का असर 14 दिन के अंदर ही दिखने लगता है। आपको शुरू में धरती हिलती हुई अनुभव होगी। आपको बड़े ही डरावने और भयावह अनुभव होने लगेंगे परन्तु किसी बात से डरना नहीं है। आप चुपचाप हनुमानजी में ध्यान एकाग्र कर अपने मंत्र जाप करते हैं। भगवान रोजाना आकर अपना प्रसाद लेंगे और खा लेंगे। 41वें दिन भगवान साक्षात प्रकट होकर आपको दर्शन देंगे और मनचाहा वरदान मांगने को कहेंगे। आप उस दौरान उनसे कुछ भी मांग कर अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं।
सावधानियां
यह एक अत्यन्त प्रचंड और विलक्षण सिद्धी है। इसे करते समय व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत होना चाहिए। जरा सा भी डर या कमजोरी आदमी को पागल कर सकती है या उसे मार सकती है। इसीलिए यह प्रयोग हर किसी को नहीं करना चाहिए वरन अपने गुरू की आज्ञा और आर्शीवाद लेकर ही करना चाहिए।
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