Wednesday, 17 April 2019

स्वर्णप्रभा यक्षिणी, स्वर्णप्रभा नाम जहाँ सुमरों तहाँ हाज़िर होवे , स्वर्णप्रभा भवानी कारज सिद्ध करे, जो मेरी बुलाई हाज़िर ना होवे तो, महादेव जी - माँ गौरी की आन, महाराजा राजाधिराज कुबेर की आन, जो मेरा कारज सिद्ध ना करे तो, लोना चमारी की कुंडी भंगी के नरक कुण्ड में पडे, रूद्र के नेत्रों से अग्नि की ज्वाला कहरे, लटा टूट भूमि पर परे, शब्द साँचा पिण्ड कांचा, फुरो मंत्र गुरु गोरखनाथ वाचा, सत्यनाम आदेश गुरु को.

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नवदुर्गोपनिषत् उक्तं चाथर्वणरहस्ये ।

  नवदुर्गोपनिषत् उक्तं चाथर्वणरहस्ये । विनियोगः- ॐ अस्य श्रीनवदुर्गामहामन्त्रस्य किरातरुपधर ईश्वर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, अन्तर्यामी नारायणः ...