जय गोरख़।
ॐ नृसिंह बाला ॐ नृसिंह बाला ॐ नृसिंह बाला। घट पिंड का तुम रखवाला । तुमरे सुमेरि होवे उजियाला,खुले जब घट के कुंची ताला । द्रष्टि काल महा विकराल , चार खुंट के बोधान-हार। रुद्धि सिद्धि का श्री लक्ष्मीजी ! भरो भंडार । ॐ सत्य नृसिंह कमल , नृसिंह भक्त वत्सल । नृसिंह भक्त वत्सल , नृसिंह योग, ध्यानी ध्याय के । ढ़ोय के , चार खुंट की रुद्धि सिद्धि आसन पर आनी । उलट लाल ललाट सोहे ,चार खुंट पुथ्वी को नृसिंह मोहे । ॐ साहेब मेरा शब्द का सांचा ॐ साहेब मेरा वचन का गांटा । ॐ साहेब मेरा गहन गंभीरा । ॐ राजा राणी को किल । दैत्य- दानव को किल । नारी स्यारी को किल । डाकिनी दंक्क को किल । टोना टामरा को किल । छल छिद्र को किल । भोदरा भोटी को किल । नौ नाड़ी बहोतेर कोठे को किल । चंडी चुडेल को किल । ताव तिजारी को किल । एक तारा बह तारा किल । बारह जाती बाग़ किल । नो कोटि नाग किल । चोर चर्पट किल । आकाश के दैत्यों को किल । पाताल के दैत्यों को किल । नाके घाटे किल । मरे मसान किल । गुनी गुनियो को किल । नदी नाले को किल । कुआ बावड़ी को किल । दुष्ट मुष्ट को किल । ॐ किल,ॐ किल,ॐ किल । मेरा किला करे घात छाती फाट मरे । जो पिंड पर करे घात उलटी घात उसे परे । ॐ खं खं खं फट स्वाहा इति । श्री पिंड प्राण की रक्षा नृसिंह करे । संकट में सुमिरु नृसिंह हकार में हनुमान । धक्के धूम में खांसी खुरी में मिरगी या मसान में रक्तिया मसान में दुहाई नृसिंह की।
इस मंत्र को 21 दिन रोज एक माला जप करे। शनिवार से जप शरू करे। सिद्ध हो जायेगा।
अगर किसी को नजर लगी हो, प्रसूता स्त्री को उपरी हवा, छोटा बालक रात में रोता हो, बेचेनी, आदि में इस मन्त्र को लाल धागा पे 7 गांठ लगा के बंधने से आराम होगा। प्रत्येक गांठ पे एक बार मंत्र जप करे।
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