Sunday 4 January 2015

छाया , नगजाड डोलगड्डी अनुष्ठान में दरियावली मन्त्र



छाया , नगजाड डोलगड्डी अनुष्ठान में दरियावली मन्त्र
छाया का अर्थ है किसी भूत , अतृप्त आत्मा का किसी महिला पर दोष लगना . छाय निवारण हेतु कुमौं एवम गढवाल में छाय पूजी जाति है जो की एक तांत्रिक अनुष्ठान है छाया तन्त्र के कई प्रकार के अनुष्ठान होते हैं . सादी छाया , नगजोड़ , डोलगड्डी आदि . नगजोड़ (महिला को नंगा अनुष्ठान करना पड़ता है ) अनुष्ठान के डो भाग होते हैं एक घर में एवम दूसरा किसी नदी/ गधन किनारे या किसी उन्चीए छोटी में
छाया अनुष्ठान में मान्त्रिक दरियावली भी पढ़ता है या कहें की दरियावली मन्त्र पढ़ता है . दरियावली के दोहे बहुत हैं उन्हें एक साथ संकलित करना इस मध्यम में सम्भव नही है किन्तु मैं कुछ दोहों को पाठकों के सामने उदधगृत कर रहा हूँ जिससे उन्हें समझ आ सके की गढ़वाल में नाथपंथी मन्त्रों की असलियत क्या है ? और इन मन्त्रों का हमारे आज के जीवन में भी क्योंकर महत्व है . बिना पढ़े ही हम पढ़े लिखे लोग अपनी धरोहर (मन्त्र) की अवमानना किस तरह कर रहे हैं वह दरिय्वाली के कुछ पद पढ़ कर समझ में आ जायेगा !!
दरिया लच्छन साधू का क्या गिरही क्या भेख
निहकपटी निरसंक रही बाहर भीतर एक
सत शब्द सत गूमुखी मत गजंद -मुखदन्त
यह तो तोड़े पौलगढ़ वह तोड़े करम अनंत
दांत रहे हस्ति बना पौल ण टूटे कोय
कई कर थारे कामिनी के खैलाराँ होय
मतवादी जाने नही ततवादी की बात
सूरज उगा उल्लुवा गिं अँधेरी रात
सीखत ज्ञानी ज्ञान गम करे ब्रह्मा की बात
दरिया बाहर चांदनी भीतर काली रात
दरिया बहू बकबाद तज कर अनहद से नेह
औंधा कलसा उपरे कंहाँ बरसावे मेह
जन दरिया उपदेस से भितर प्रेम सधीर
गाहक हो कोई हीक कर कहाँ दिखावे हीर
दरिया गैला जगत को क्या कीजै सुलझाय
सुलझाया सुलझे नही सुलझ सुलझ उलझाय
रोग नीसरै देह में पत्थर पूजे जाय
कंचन कंचन ही सदा कांच कांच को कांच
दरिया झूठ सो झूठ है सांच सांच सौ सांच
इसी तरह दरियावली में सैकड़ो पद हैं जो छाया या अन्य तांत्रिक अनुष्ठानो में मान्त्रिक -तांत्रिक पढ़ता है और अब आपको भी समझ में आ जाएगा की दरियावली के मन्तर दर्शन , सच्चाई , आध्यात्म , वास्तविकता से भरे हैं

गोल देवता का मन्त्र


गोरिल, ग्विल्ल, गोरिया , गोल देवता का मन्त्र
नाथपंथ ने कुमाऊं - गढ़वाल क्षेत्र को की देवता व मन्तर दिए है . इनमे एक मन्त्र ग्विल्ल , गोरिल देवता का सभी गाँव में महत्व है . यदि किसी पर ग्विल्ल/गोरिल का दोष लग जाय तो मान्त्रिक दूध , गुड, ल़ूण, राख आदि को मंत्रता है और यह मन्त्र इस प्रकार है :
ॐ नमो गुरु को आदेस
रिया : हंकार आऊ : बावन ह्न्तग्य तोडतो आऊ : हो गोरिया : कसमीर से चली आयो : जटा फिकरन्तो आयो,: घरन्तो आयो :गाजन्तो आयो : बजन्तो आयो : जुन्ज्तो आयो : पूजन्तो आयो : हो गोरिया बाबा : बारा कुरोड़ी क्रताणी : कुबन्द : नौ करोडी उराणी कुबन्द : : तीन सौ साट : गंगा बंद , नौ सौ नवासी नदी बंद : यक लाख अस्सी हजार वेद की कला बंध : रु रु बंद : भू भू बंद : चंड बंद : प्रचंड बंद : टूना पोखर बंद : अरवत्त बंद : सब रत्त बंद :अगवाडा बंद का बेद बंदऊँ : पीछे पिछवाडा को बेद बंदऊँ : महाकाली जा बन्दों : वन्द वन्द को गोरिया : हो गोरिया : नरसिंग की दृष्टा बंद : युंकाल की फांस बंद : चार कुणे धरा बंद : लाया तो भैराऊं बंद : खवायाँ चेडा बंद : सगुरु विद्या कु बंद निगु
इस मन्तर के अध्ययन से साफ़ पता चलता है की इस मन्तर में गोरिल की वीरता व ज्ञान की प्रशंशा की गयी है
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गोरिल कलुआ देव के भाई थे और राजतंत्र या अधिनायक तंत्र के विरुद्ध जन आन्दोलन में भाग लेते थे एवम वे विकराल रूप भी धारण करते थे यही कारण है की गोरिल ग्राम देवताओं की सूची में आते हैं क्योंकि वे जन नेता थे )

आंत स्राव मंत्र और वैदिक मंत्र



आंत स्राव मंत्र और वैदिक मंत्र
गढ़वाल कुमाऊं में हर परेशानी हेतु मंत्र रचे गये हैं कुछ की खोज हो चुकी और असंख्य मन्त्रों की खोज बाकी है
गणित प्रकाश एक ऐसी मंत्र ग्रंथावली है जिसमे चिकत्सा मन्त्र हैं . गणित प्रकाश में चिकित्सा मन्त्र और यंत्र हैं
इस ग्रन्थावली में एक मंत्र काट लगने (आंतो का रोग , आंत्र स्राव, पेचिस ) पर किस प्रकार से चिकत्सा प्रबंध किया जाय पर एक मंत्र इस प्रकार है
स्याळ की राल लौंग सूंठ आम की गुठली स्र्तींतो कट्ठा करण पीस्णों आदा कौड़ी बाण पूडी बाद्णी अनोपान एक बगोट उमरा को एक बगोट
तिमला की जड़ी को बगोट एक अणताज करणों सात मृच पीसिक डाळणों अदुड़ी पाणि मा कुवात करणों . गया घीउ ना त पथ देणों कटाई जाई
अथर्व वेद में चिकित्सा संकेत मंत्र
(अथर्व वेद, पांचवां अध्याय , इकाणवे संहिता, ऋषि - भ्रिग्रा, देवता- यक्ष्नाश्म , आप , छंद - अनुषटुपु)
यह जो औषधि में प्रयुक्त करने के लिए आठ बैल या चै बैल वाले हल द्वारा जोतकर उत्पन्न किये हैं उन यवों से तेरे रोग के कारण पाप को नीचे से निकालता हूँ
जैसे सूर्य नीचे तपते हैं , वायु नीचे चलती है , गौ नीचे मुख करके दूध देती है , वैसे ही रो तेरा मुख भी अधोमुखी हो , औषधियां जल की विकार रूप हैं
अत: जल ही रोग निवारण का सर्वोत्तम औषधि है . यह जल सब संसार की औषधि रूप है . वे ही तेरा रोग निवारण करें
इस तरह अनुमान लगाना सरल है क़ि वैदिक समहिताओं से चरक सम्हिताओं में होते हुए चिकत्सा मंत्र स्थानीय भाषाओं में आये एवम बहुत सी चिकत्सा पद्धति स्थानीय दृष्टि से खोजी भी गईं हैं

https://youtu.be/XfpY7YI9CHc

https://youtu.be/XfpY7YI9CHc